aralakshmi Vrat 2024 : जल्द सावन माह समाप्त होने वाला है। इस महीने को पूजा पाठ के लिए बहुत पवित्र माना गया है। इस दौरान किए गए कार्यों में महादेव की विशेष कृपा बनी रहती है। सावन में सभी व्रत और त्योहार का अपना अलग महत्व होता है। हालांकि इनमें वरलक्ष्मी व्रत को सबसे खास माना गया है। हर साल सावन माह के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां लक्ष्मी उर्वरता, उदारता, प्रकाश, ज्ञान और धन की संरक्षक हैं। सभी महिलाएं देवी से संतान और पति की लंबी आयु की कामना करती है। इसलिए सभी महिलाओं के लिए वरलक्ष्मी व्रत बेहद शुभ होता है। इस साल ये उपवास आज 16 अगस्त के दिन रखा जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से शुक्र ग्रह की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं।
वरलक्ष्मी व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Varalakshmi Vrat 2024 Date and shubh muhurat)
पंचांग के अनुसार, सावन का अंतिम शुक्रवार 16 अगस्त को है। इसी दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाएगा।
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर 08 बजकर 14 मिनट तक।
वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 08 मिनट तक।
कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 55 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 22 मिनट तक।
वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त-रात 11 बजकर 22 मिनट से लेकर मध्य रात्रि 01 बजकर 18 मिनट तक।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्रों को धारण करें।
- फिर लकड़ी की चौकी लें, और उसपर लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाएं।
- अब मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें।
- मूर्ति के पास एक कलश में जल भरकर रख दें।
- इसके बाद गणेश जी को पुष्प, दूर्वा, नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, माला चढ़ाएं।
- इस दौरान देवी मां को सोलह श्रृंगार अर्पित करना चाहिए।
- अब घी का दीपक जलाकर मंत्र पढ़ लें, और व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में आरती करते हुए सुख-समृद्धि की कामना करें।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। इतिहास न्यूज़ यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इतिहास न्यूज़ अंधविश्वास के खिलाफ है।