Thursday 19/ 06/ 2025 

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किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते दिल्ली और झज्जर में लगी धारा 144, ट्रैक्टर-ट्राली के प्रवेश पर लगा बैन

किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते दिल्ली और झज्जर में लगी धारा 144, ट्रैक्टर-ट्राली के प्रवेश पर लगा बैन

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत विभिन्न मांगों के लिए पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन की पूरी तैयारी कर ली है। किसान संगठन कल यानी 13 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे। वे अपनी मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं।

  • 13 फरवरी को दिल्ली कूच के लिए तैयार किसान संगठन
  • जाब-हरियाणा की सीमाएं सील, हरियाणा के सात जिलों में इंटरनेट सस्पेंड
  • किसानों ने इस विरोध-प्रदर्शन को चलो दिल्ली का नाम दिया है।

पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों न 13 फरवरी को दिल्ली कूच के लिए कमर कस ली है।  साल 2021 के प्रदर्शन की तरह ही इस बार भी किसान अपनी मांगों के लिए विरोध पर उतरे हैं। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए विरोध प्रदर्शन का आह्वान रहे हैं। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए राज्यों की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

इन मांगों को लेकर डटे हैं किसान

  • किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनना है.
  • किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं.
  • आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ करने की मांग भी कर रहे हैं
  • किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं
  • भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकाला जाए.
  • कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए.
  • किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए.
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना.
  • . भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए.
  • कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.

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