भिंड : न्याय निर्णय अधिकारी एवं अपर जिला दण्डाधिकारी श्री एलके पाण्डेय ने रामा डेयरी ग्राम हसनपुरा पर 2 लाख रूपए का दण्ड अधिरोपित किया है। उन्होंने बताया कि आवेदक द्वारा अनावेदक फर्म रामा डेयरी ग्राम हसनपुरा का 31 अक्टूबर 2021 को स्थल पर रखे रिफायण्ड आयल, मिश्रित एवं सपरेटा दूध मावे के निर्माण हेतु पाए जाने पर निरीक्षण किया गया। मिलावट की शंका होने पर मावा (लूज) रिफाइण्ड ऑयल, स्किम्ड मिल्क, मिल्क कीम का नमूना खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के विधिक प्रावधानों के अन्तर्गत जांच हेतु लिया गया और मौके पर पंचनामा आदि दस्तावेज तैयार किए गए।
आवेदक द्वारा नमूनों के एक-एक भाग को नियमानुसार जांच हेतु खाद्य विश्लेषक राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भोपाल भेजा गया था तथा शेष दो भागों व अनावेदक द्वारा प्रत्यायित प्रयोगशाला के लिए आवेदन न करने पर चौथे सील्ड भाग को मेमोरेण्डम फार्म की प्रति के साथ सील्ड पैकिटों में अभिहित अधिकारी जिला भिण्ड के कार्यालय में जमा कराए गए। खाद्य विश्लेषक की जांच रिपोर्ट में अनावेदक की फर्म से लिए – मावा (अवमानक) 2- रिफाइण्ड ऑयल (अपद्रव्य) 3- स्किम्ड मिल्क (मानक) 4-मिल्क क्रीम का नमूला (मानक) स्तर का घोषित किया गया। अभिहित अधिकारी द्वारा धारा 46 (4) के अन्तर्गत नमूने की दोबारा जांच रैफरल लैव से कराने हेतु सूचना अनावेदक को दी गयी, लेकिन उनके द्वारा कोई अपील नहीं की गयी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी भिण्ड द्वारा अभिहित अधिकारी के समक्ष प्रकरण में समस्त दस्तावेजों के साथ अभियोजन मंजूरी हेतु आवेदन प्रस्तुत किया, जिस पर से अविहित अधिकारी द्वारा विधिवत अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 26 (2) (11) (व्ही), 31 (2) तथा सहपठित धारा- 51,57 एवं 58 के तहत परिवाद प्रस्तुत किया गया।
उक्त तथ्यों के आधार पर अनावेदक का उक्त कृत्य नियम विरूद्ध पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 51 एवं 26, सहपठित धारा 57 एवं धारा 31 (2) सहपठित धारा 58 के तहत अनावेदक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाकर जबाव चाहा गया, क्यों न उक्त कृत्य के लिए धारा 51 के तहत 5,00,000/- पांच लाख रूपए एवं धारा 57 के तहत 2,00,000/- दो लाख रूपए एवं धारा 58 के तहत 2,00,000/- दो लाख कुल 9,00,000/- से दण्डित किया जावे।
अनावेदक ने जबाव प्रस्तुत किया कि फर्म ग्रामीण परिवेश में है और आम नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मानकों का पूरा पालन किया जाता है। परिवादी (आवेदक) द्वारा फर्म को बदनाम करने की नियत से कार्यवाही की गयी है। परिवादी का परिवाद आधार हीन होने से निरस्त किया जावे।
परिवादी (अनावेदक) के कथन लिए गए उसने अपने कथन में परिवाद के तथ्यों को सही बताते हुए स्वीकार किया है। परिवाद विधिवत जांच एवं स्वीकृति के बाद प्रस्तुत किया गया है।
अनावेदक अधिवक्ता को सुना गया एवं प्रकरण में प्रस्तुत समस्त दस्तावेजों का परिशीलन किया गया। अनावेदक द्वारा जबाव के अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गयी, केवल फर्म ग्रामीण परिवेश की होकर छोटा कारोबार है एवं आमजन के स्वास्थ्य एवं नियमों के तहत शुद्धता का ध्यान रखा गया है। अनावेदक का उक्त कृत्य खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 51 एवं 26, सहपठित धारा 57 एवं धारा 31 (2) सहपठित धारा 58 के तहत दण्डनीय है। चूंकि अनावेदक का कारोबार छोटा है एवं ग्रामीण परिवेश का है। अतः न्यायहित में अनावेदक के ऊपर धारा 51 के तहत 1,00,000/-एक लाख रूपए, धारा-57 के तहत 50,000/- पचास हजार, धारा-58 के तहत 50000/-पचास हजार कुल 2,00,000/- दो लाख रूपए की अर्थदण्ड की शास्ति अधिरोपित की जाती है। अधिरोपित शास्ति की राशि चालान /विभागीय शीर्ष के माध्यम से शीर्ष 0210-मेडीकल एण्ड पब्लिक हेल्थ, 04-पब्लिक हेल्थ, 104-फीस एण्ड फायनेंस लायसेंस फी, 05-कन्ट्रोलर फूड एण्ड ड्रग एम.पी. में जमा करें तथा चालान की एक प्रति इस न्यायालय में प्रस्तुत करे। एक माह के अन्दर राशि जमा न करने पर धारा-96 के तहत भू राजस्व के तौर पर संबंधित राजस्व अधिकारी द्वारा वसूल की जावेगी एवं वैधानिक दण्डात्मक कार्यवाही भी की जावेगी।