Saturday 15/ 03/ 2025 

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करवा चौथ 2024 : करवा चौथ आज, यहां जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

आज देशभर में करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा. भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को और शिव ने पार्वती को इस व्रत के बारे में बताया था. करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन मूलतः भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है. चंद्रमा को सामन्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है. इसलिए चंद्रमा की विधिवत पूजा कर सुहागनें वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.

मूल रूप से करवा चौथ का पर्व उत्तर भारत में मनाया जाता है। उत्तर भारत का यह पर्व पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में खुशहाली का प्रतीक है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार उसका पारण करती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्तूबर को रखा जाएगा।

करवा चौथ पर आटे के दीपक से पूजा करने का महत्व

हिंदू धर्म में आटे के दीपक को बेहद शुद्ध और पवित्र माना जाता है। वास्तु के अनुसार आटे के दीपक का इस्तेमाल किसी विशेष तरह की मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है। वहीं करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है, इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आटे के दिये से पूजा करना शुभ होता है। माना जाता है कि जिसकी लंबी उम्र की कामना करते हुए आटे का दीपक जलाया जाता है उसे यमराज की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती।

पांच शुभ योग में करवा चौथ का व्रत

20 अक्तूबर को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के मुताबिक करवा चौथ पर एक साथ कई तरह के शुभ योगों का निर्माण देखने को मिलेगा। करवा चौथ पर चंद्रमा और गुरु का संयोग वृषभ राशि में बनने से गजकेसरी राजयोग का निर्माण होगा। वही इस दिन महालक्ष्मी, शश, समसप्तक और बुधादित्य राजयोग का शुभ संयोग देखने को मिलेगा। चंद्रमा इस दिन रोहिणी नक्षत्र में रहेगा।

Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ की कथा

करवा चौथ व्रत की पौराणिक मान्यताएं भी है। जिससे अनुसार पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्री ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत किये जाने लगा। वहीं एक दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत में वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे तब द्रोपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के बाद अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।

करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय

वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 53 मिनट पर होगा। देशभर के अलग-अलग शहरों में चांद के निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है।

करवा चौथ की पूजन विधि (Karwa Chauth 2024 puja vidhi)

पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान पर चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं. इस पर गौरी मां की प्रतिमा स्थापित करें. करवा, दीपक और पूजन सामग्री भी यहां रखें. पूजा में एक कलश को जल से भरकर रखें। इस पर दीपक जलाएं. करवा पर रोली, अक्षत, सिंदूर और फूल अर्पित करें. विधिवत पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

कथा सुनते समय हाथ में जल और अक्षत लेकर बैठें. रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का समापन होता है. चंद्रमा को जल अर्पित करें और उसे अर्घ्य दें. पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करें. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति को जल से अर्घ्य दें. पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ें।

करवा चौथ के व्रत के नियम और सावधानियां

करवा चौथ का केवल सुहागनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, उन्हें ही रखना चाहिए. यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाएगा. यह व्रत निर्जला या विशेष परिस्थितियों में जल के साथ रखा जा सकता है. व्रत रखने वाली महिलाओं को काला या सफेद वस्त्र पहनने से बचना चाहिए. आप लाल या पीला वस्त्र पहन सकते हैं. इस दिन पूर्ण श्रंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए.

सुख-शांति के लिए उपाय (Karwa Chauth 2024 upay)

मध्य रात्रि को पीले वस्त्र धारण कर भगवान गणेश के समक्ष घी का दीपक जलाएं. उन्हें पीला वस्त्र और हल्दी की दो गांठ अर्पित करें. इसके बाद “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें. पीले वस्त्र में हल्दी की गांठ बांधकर अपने पास रख लें.

पति-पत्नी में प्रेम बढ़ाने के लिए उपाय

करवा चौथ की रात को पीले या लाल वस्त्र धारण कर एक लोटा जल में सफेद चंदन मिलाएं. नजर नीची करके चन्द्रमा को अर्घ्य दें. इसके बाद शिवजी का ध्यान करके निम्न मंत्र का जप करें. “ॐ उमामहेश्वराभ्याम नमः”. मंत्र का जप करने के बाद वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने की प्रार्थना करें.

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